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आज से नासिक में आस्था का महापर्व कुंभ

त्र्यंबकेश्वर नासिक सिंहस्थ का मंगलाचरण मंगलवार को हो रहा है. यानी कुंभ का ध्वजारोहण दोनों कुंभ नगरियों में पारंपरिक विधि विधान से होने के साथ ही कुंभ की औपचारिक शुरुआत हो गई है. इस सिंहस्थ मेले के दौरान होने वाले तीनों शाही स्नानों के अलावा कई पर्व दिवसों के पुण्यकाल में दस करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु गोदावरी की पवित्र धारा में डुबकी लगाएंगे. इस पावन मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और गृह मंत्री राजना‍थ सिंह भी मौजूद थे. राज्य सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे भी इस दौरान नजर आईं. तय मुहूर्त के अनुसार सुबह साढ़े छह बजे विधि‍वत तरीके से पूजा-अर्चना की शुरुआत हुई. सभी विशि‍ष्ठ अतिथ‍ि पूजा में शरीक हुए. देवगुरु ग्रह बृहस्पति एक बार फिर सिंह राशि में आ रहा है. सूर्य और चंद्रमा कर्क राशि में आएंगे तो त्र्यंबकेश्वर नासिक में अमृत की बूंदें छलकेंगी और सिंहस्थ महापर्व होगा. हर 12 साल बाद लगने वाले सिंहस्थ मेले का ध्वजारोहण, करोड़ों श्रद्धालुओं, लाखों साधु संन्यासियों और हजारों महामंडलेश्वरों, महंतों और श्री महंतों से सजने वाले इस मेले में हजारों साल की परंपरा दोहराई जाएगी. नासिक कुंभ क्यों है सबसे अलग देश के चार शहरों में लगने वाले कुंभ और सिंहस्थ मेले में से त्र्यंबकेश्वर-नासिक कुंभ कई मायनों में अलग, अनूठा और अद्भुत है. यहां दो शहरों में शाही स्नान होते हैं. यानी शैव संन्यासी ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर शिव की नगरी में गोदावरी के प्रकट स्थल कुशावर्त कुंड में शाही स्नान करते हैं, वहीं वैष्णव बैरागी संत भगवान राम की वनवास स्थली पंचवटी के शहर नासिक के राम घाट पर गोदावरी की पवित्र धारा में शाही स्नान की डुबकी लगाते हैं. क्या कहता है इतिहास इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि 18वीं सदी में महाराष्ट्र में पेशवाओं के राज में पहले शाही स्नान करने के सवाल पर शैव संन्यासियों और वैष्णव बैरागियों के बीच हिंसक संघर्ष हुआ. पेशवाओं ने दशकों तक सिंहस्थ का शाही आयोजन ही बंद कर दिया था. फिर पेशवा शासकों ने साधु संतों के समझौते के बाद शिव की नगरी त्र्यंबकेश्वर में शैव संन्यासियों के और भगवान राम की वनवास स्थली पंचवटी में वैष्णव वैरागियों के शाही स्नान का इंतजाम तय किया और सिंहस्थ फिर से अपनी गरिमा और महिमा के साथ शुरू हो गया. लेकिन सिंहस्थ के शहर दो हो गए. यानी श्रद्धा और उत्सव का दायरा बढ़ गया. तैयारी और शाही स्नान की तारीख सिंहस्थ महापर्व के लिए प्रशासन की तैयारियां अब आखिरी चरण में पहुंच गई हैं क्योंकि शैव संन्यासियों और वैष्णव बैरागियों के साथ उदासीन संतों के 13 अखाड़ों के लाखों संतों और करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए रहने-खाने और स्नान का इंतजाम कोई खेल नहीं. हर बार तमाम सुरक्षा इंतजामों के बावजूद हादसे होते हैं. लिहाजा प्रशासन ज्यादा सतर्कता बरत रहा है. पारंपरिक रूप से यहां भी तीन शाही स्नान होते हैं. सिंहस्थ 2015 का पहला शाही स्नान रक्षा बंधन यानी सावन की पूर्णिमा को होगा, तारीख होगी 29 अगस्त. दूसरा शाही स्नान 13 सितंबर अमावस्या को और तीसरा शाही स्नान 18 सितंबर को ऋषि पंचमी के पर्वकाल में वैष्णव बैरागी संत करेंगे. शैव संन्यासी वामन जयंती पर 25 सितंबर को त्र्यंबकेश्वर के कुशावर्त कुंड पर गोदावरी के पवित्र जल में तीसरे शाही स्नान की डुबकी लगाएंगे. ध्वजारोहण के साथ ही सिंहस्थ का मंगलाचरण हो रहा है. इसके बाद संन्यासियों और संतों के अखाड़ों का ध्वजारोहण और शाही नगर प्रवेश यानी पेशवाइयों का सिलसिला शुरू हो जाएगा. यानी सिंहस्थ के रंग में रंगने लगे दोनों कुंभ नगर.